तीर तुपक से जो लड़े, सो तो शूर न होय | माया तजि भक्ति करे, सूर कहावै सोय ||
By : कबीर
इमेज का डाउनलोड लिंक नीचे दिया गया है
teer tupak se jo lade, so to shoor na hoy | maaya taji bhakti kare, soor kahaavai soy || | तीर तुपक से जो लड़े, सो तो शूर न होय | माया तजि भक्ति करे, सूर कहावै सोय ||
Related Posts
- कबीर धूल सकेलि के, पुड़ी जो बाँधी येह | दिवस चार का पेखना, अन्त खेह की खेह ||
- भेष देख मत भूलिये, बूझि लीजिये ज्ञान | बिना कसौटी होत नहीं, कंचन की पहिचान ||
- एक दिन ऐसा होएगा, सब सूँ पड़े बिछोइ | राजा राणा छत्रपति, सावधान किन होइ ||
- जाति न पूछो साधु की, पूछि लीजिए ज्ञान | मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान ||
- लूट सके तो लूट ले, राम नाम की लूट | पाछे फिरे पछताओगे, प्राण जाहिं जब छूट ||
- साईं इतना दीजिये, जा में कुटुम समाय | मैं भी भूखा न रहूँ, साधु ना भूखा जाय ||
- सुख में सुमिरन ना किया, दु:ख में किया याद | कह कबीर ता दास की, कौन सुने फरियाद ||
- कबिरा माला मनहि की, और संसारी भीख | माला फेरे हरि मिले, गले रहट के देख ||
- बलिहारी गुरु आपनो, घड़ी-घड़ी सौ सौ बार | मानुष से देवत किया करत न लागी बार ||
- गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काके लागूं पाँय | बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो बताय ||