सुन्दरता को आभूषणों की आवश्यकता नहीं होती। मृदुता आभूषणों का भार वहन नहीं कर सकती।
By : मुंशी प्रेमचंद
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sundarata ko aabhushno ki aavshyakta nahi ohti mraduta abhushano ke bhaar ka vahan nahi kar sakti. | सुन्दरता को आभूषणों की आवश्यकता नहीं होती। मृदुता आभूषणों का भार वहन नहीं कर सकती।
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