सत्य ही हमारे सारे प्राणियों और समाजों का मूल आधार है, अतः सत्य कभी भी समाज के अनुसार अपना गठन नहीं करेगा।
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saty hee hamaare sabhee praaniyon aur samaajon ka mool aadhaar hai, atah saty kabhee bhee samaaj ke anusaar apana gathan nahin karega. | सत्य ही हमारे सारे प्राणियों और समाजों का मूल आधार है, अतः सत्य कभी भी समाज के अनुसार अपना गठन नहीं करेगा।
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