सद्व्यवहार में शक्ति है। जो सोचता है कि मैं दूसरों के काम आ सकने के लिए कुछ करूँ, वही आत्मोन्नति का सच्चा पथिक है।
By : प्रज्ञा सुभाषित
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sadvyavahar mein shakt. jo sochta hai ki main doosro ke kaam aan sakne ke liye kuchh karoo, vahi aatmonnati ka sachcha pathik hai. | सद्व्यवहार में शक्ति है। जो सोचता है कि मैं दूसरों के काम आ सकने के लिए कुछ करूँ, वही आत्मोन्नति का सच्चा पथिक है।
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- वास्तविक सौन्दर्य के आधार हैं-स्वस्थ शरीर, निर्विकार मन और पवित्र आचरण।
- मनुष्य जन्म सरल है, पर मनुष्यता कठिन प्रयत्न करके कमानी पड़ती है।
- भगवान मेरे आध्यात्मिक पिता है।
- जिनके अंदर अय्याशी, फिजूलखर्ची और विलासिता की कुर्बानी देने की हिम्मत नहीं, वे अध्यात्म से कोसों दूर हैं।
- अधिक संपत्ति नहीं, बल्कि सरल आनंद को खोजें। बड़े भाग्य नहीं, बल्कि परम सुख को खोजें।
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- एक स्वस्थ शरीर ही सबसे बड़ा धन है।
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