सब रग तंत रबाब तन, बिरह बजावै नित्त | और न कोई सुणि सकै, कै साईं के चित्त ||

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सब रग तंत रबाब तन, बिरह बजावै नित्त | और न कोई सुणि सकै, कै साईं के चित्त || : Sab rag tant rabaab tan, birah bajaavai nitt | aur na koee suni sakai, kai saeen ke chitt || - कबीर
सब रग तंत रबाब तन, बिरह बजावै नित्त | और न कोई सुणि सकै, कै साईं के चित्त || : Sab rag tant rabaab tan, birah bajaavai nitt | aur na koee suni sakai, kai saeen ke chitt || - कबीर

sab rag tant rabaab tan, birah bajaavai nitt | aur na koee suni sakai, kai saeen ke chitt || | सब रग तंत रबाब तन, बिरह बजावै नित्त | और न कोई सुणि सकै, कै साईं के चित्त ||

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