साखी शब्द बहुतक सुना, मिटा न मन क मोह | पारस तक पहुँचा नहीं, रहा लोह का लोह ||

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साखी शब्द बहुतक सुना, मिटा न मन क मोह | पारस तक पहुँचा नहीं, रहा लोह का लोह || : Saakhee shabd bahutak suna, mita na man ka moh | paaras tak pahuncha nahin, raha loh ka loh || - कबीर
साखी शब्द बहुतक सुना, मिटा न मन क मोह | पारस तक पहुँचा नहीं, रहा लोह का लोह || : Saakhee shabd bahutak suna, mita na man ka moh | paaras tak pahuncha nahin, raha loh ka loh || - कबीर

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