साकट का मुख बिम्ब है निकसत बचन भुवंग | ताकि औषण मौन है, विष नहिं व्यापै अंग ||

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साकट का मुख बिम्ब है निकसत बचन भुवंग | ताकि औषण मौन है, विष नहिं व्यापै अंग || : Saakat ka mukh bimb hai nikasat bachan bhuvang | taaki aushan maun hai, vish nahin vyaapai ang || - कबीर
साकट का मुख बिम्ब है निकसत बचन भुवंग | ताकि औषण मौन है, विष नहिं व्यापै अंग || : Saakat ka mukh bimb hai nikasat bachan bhuvang | taaki aushan maun hai, vish nahin vyaapai ang || - कबीर

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