मसीहा को मरे जितना समय हो जाता है कर्मकांड उतना ही प्रबल हो जाता है। अगर आज बुद्ध जीवित होते तो तुम उन्हें पसंद न करते।
By : आचार्य रजनीश 'ओशो'
इमेज का डाउनलोड लिंक नीचे दिया गया है
maseeha ko mare jitne samay ho jata hai, karmkand utba hi prabal ho jata hai. agar aaj budhha jeevit hote to aap unhe pasand nahi karte. | मसीहा को मरे जितना समय हो जाता है कर्मकांड उतना ही प्रबल हो जाता है। अगर आज बुद्ध जीवित होते तो तुम उन्हें पसंद न करते।
Related Posts
- कर्तव्यनिष्ठ पुरूष कभी निराश नहीं होता। अतः जब तक जीवित रहें और कर्तव्य करते रहें, तो इसमें पूरा आनन्द मिलेगा।
- कबीर धूल सकेलि के, पुड़ी जो बाँधी येह | दिवस चार का पेखना, अन्त खेह की खेह ||
- भेष देख मत भूलिये, बूझि लीजिये ज्ञान | बिना कसौटी होत नहीं, कंचन की पहिचान ||
- विश्वास रखकर आलस्य छोड़ दीजिये, वहम मिटा दीजिये, डर छोड़िये, फूट का त्याग कीजिये, कायरता निकाल डालिए, हिम्मत रखिये, बहादुर बन जाइए, और आत्मविश्वास रखना सीखिए। इतना कर लेंगे तो आप जो चाहेंगे, अपने आप मिलेगा।
- जितना बड़ा संघर्ष होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी।
- सत्ताधीशों की सत्ता उनकी मृत्यु के साथ ही समाप्त हो जाती है, पर महान देशभक्तों की सत्ता मरने के बाद काम करती है, अतः देशभक्ति अर्थात् देश-सेवा में जो मिठास है, वह और किसी चीज में नहीं।
- अधिक संपत्ति नहीं, बल्कि सरल आनंद को खोजें। बड़े भाग्य नहीं, बल्कि परम सुख को खोजें।
- दुनिया में ऐसे लोग हैं जो इतने भूखे हैं कि भगवान उन्हें किसी और रूप में नहीं दिख सकता सिवाय रोटी के रूप में।
- पूर्ण विश्वास के साथ बोला गया “नहीं” सिर्फ दूसरों को खुश करने या समस्या से छुटकारा पाने के लिए बोले गए “हाँ” से बेहतर है।
- आप आज जो करते हैं उस पर भविष्य निर्भर करता है।