महान उपलब्धियां सरलता से नहीं मिलतीं और सरलता से मिली उपलब्धियां महान नहीं होतीं।
By : बाल गंगाधर तिलक
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mahan uplabdhiyaan saralta se nahi milti aur saralta se milne wali uplabdhiyaan mahan nahi hoti. | महान उपलब्धियां सरलता से नहीं मिलतीं और सरलता से मिली उपलब्धियां महान नहीं होतीं।
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- आपको ये नहीं मानना चाहिये कि आप जो श्रम करेंगे उससे उत्पन्न फसल को आप ही काटेंगे। सदेव ऐसा नहीं होता। हमे अपनी पूर्ण शक्ति से श्रम करना चाहिये और उसका परिणाम आने वाली पीढ़ी के भोगने के लिए छोड़ देना चाहिये। याद रखिये ,आप जो आम आज खा रहे हैं उनके पेड़ आपने नहीं लगाये थे।
- दूसरे के मुह से पानी नहीं पिया जा सकता ,हमे पानी स्वयं पीना होगा। वर्तमान व्यवस्था (अंग्रेजी हुकूमत ) हमे दुसरे के मुह से पानी पीने के लिए मजबूर करती है। हमे अपने कुवें से अपना पानी खीचना और पानी पीना चाहिये।
- प्रातः काल मे उदित होने के लिए ही सूर्य संध्या काल मे अन्धकार के गर्त मे चला जाता है। अन्धकार मे जाए बिना प्रकाश प्राप्त नहीं हो सकता। गर्म हवा के झोंकों मे जाए बिना, कष्ट उठाये बिना, पैरों मे छाले पड़े बिना, स्वतन्त्रता नहीं मिल सकती।
- एक बहुत प्राचीन सिद्धांत है की ईश्वर उनकी ही सहायता करता है ,जो अपनी सहायता आप करते हैं। आलसी व्यक्तियों के लिए ईश्वर अवतार नहीं लेता। वह उद्योगशील व्यक्तियों के लिए ही अवतरित होता है। इसलिए कार्य करना शुरु कीजिये।
- धर्म और व्यावहारिक जीवन अलग नहीं हैं। सन्यास लेना जीवन का परित्याग करना नहीं है। असली भावना सिर्फ अपने लिए काम करने की बजाये देश को अपना परिवार बना मिलजुल कर काम करना है। इसके बाद का कदम मानवता की सेवा करना है और अगला कदम ईश्वर की सेवा करना है।
- आपका दोष क्षमता की कमी या साधनों की कमी की दृष्टि से नहीं है, वरन दोष इस बात मे है कि आप में संकल्प का अभाव है। आपने उस संकल्प को अपने मे उत्पन्न नहीं किया है जो आपको पहले ही उत्पन्न कर लेना था। संकल्प ही सब कुछ है। आपको संकल्प शक्ति इतना साहस दे सकती है कि आपको लक्ष्य पाने से कोई नहीं रोक सकता।
- आपके लक्ष्य की पूर्ति स्वर्ग से आये किसी जादू से नहीं हो सकेगी। आपको ही अपना लक्ष्य प्राप्त करना है। कार्य करने और कठोर श्रम करने के दिन यही हैं।
- मराठी मे एक कहावत है – घोडा अड़ा क्यों ? पान सडा क्यों ? और रोटी जली क्यों ? इन सबका एक ही उत्तर है -पलटा ना था।
- आपके विचार सही हों ,आपके लक्ष्य ईमानदार हों ,और आपके प्रयास संवेधानिक हों तो मुझे पूर्ण विश्वास है की आपको अपने प्रयत्नों मे सफलता मिलेगी।
- मनुष्य का प्रमुख लक्ष्य भोजन प्राप्त करना ही नहीं है। एक कौवा भी जीवित रहता है और जूठन पर पलता है।