मास-मास नहिं करि सकै, उठे मास अलबत्त | यामें ढील न कीजिये, कहै कबीर अविगत्त ||
By : कबीर
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maas-maas nahin kari sakai, uthe maas alabatt | yaamen dheel na keejiye, kahai kabeer avigatt || | मास-मास नहिं करि सकै, उठे मास अलबत्त | यामें ढील न कीजिये, कहै कबीर अविगत्त ||
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