कोई संस्कृति जीवित नहीं रह सकती है,अगर वह विशिष्ट होने का प्रयास करे.
By : महात्मा गाँधी
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koi sanskriti jeevit nahi rah sakti agar wah vishisht hone ka pryaas kare. | कोई संस्कृति जीवित नहीं रह सकती है,अगर वह विशिष्ट होने का प्रयास करे.
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- आप आज जो करते हैं उस पर भविष्य निर्भर करता है।
- पूंजी अपने-आप में बुरी नहीं है, उसके गलत उपयोग में ही बुराई है. किसी ना किसी रूप में पूंजी की आवश्यकता हमेशा रहेगी।
- शांति के लिए कोई विशेष रास्ता नहीं है, शांति अपने आप में ही एक रास्ता है।
- आप मानवता में विश्वास मत खोइए, मानवता सागर की तरह है। अगर सागर की कुछ बूँदें गन्दी हैं, तो सागर गन्दा नहीं हो जाता।
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