किसी समाज, देश या व्यक्ति का गौरव अन्याय के विरुद्ध लड़ने में ही परखा जा सकता है।

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किसी समाज, देश या व्यक्ति का गौरव अन्याय के विरुद्ध लड़ने में ही परखा जा सकता है। : Kisi samaj, dewsh ya vyakti ka gaurav anyaay ke viruddha ladne me hi parkhaa ja sakta hai - प्रज्ञा सुभाषित
किसी समाज, देश या व्यक्ति का गौरव अन्याय के विरुद्ध लड़ने में ही परखा जा सकता है। : Kisi samaj, dewsh ya vyakti ka gaurav anyaay ke viruddha ladne me hi parkhaa ja sakta hai - प्रज्ञा सुभाषित

kisi samaj, dewsh ya vyakti ka gaurav anyaay ke viruddha ladne me hi parkhaa ja sakta hai | किसी समाज, देश या व्यक्ति का गौरव अन्याय के विरुद्ध लड़ने में ही परखा जा सकता है।

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