कबीर साकट की सभा, तू मति बैठे जाय | एक गुवाड़े कदि बड़ै, रोज गदहरा गाय ||
By : कबीर
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kabeer saakat kee sabha, too mati baithe jaay | ek guvaade kadi badai, roj gadahara gaay || | कबीर साकट की सभा, तू मति बैठे जाय | एक गुवाड़े कदि बड़ै, रोज गदहरा गाय ||
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