कबीर गुरु की भक्ति का, मन में बहुत हुलास | मन मनसा माजै नहीं, होन चहत है दास ||
By : कबीर
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kabeer guru kee bhakti ka, man mein bahut hulaas | man manasa maajai nahin, hon chahat hai daas || | कबीर गुरु की भक्ति का, मन में बहुत हुलास | मन मनसा माजै नहीं, होन चहत है दास ||
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