जो तु चाहे मुक्ति को, छोड़ दे सबकी आस | मुक्त ही जैसा हो रहे, सब कुछ तेरे पास ||
By : कबीर
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jo tu chaahe mukti ko, chhod de sabakee aas | mukt hee jaisa ho rahe, sab kuchh tere paas || | जो तु चाहे मुक्ति को, छोड़ दे सबकी आस | मुक्त ही जैसा हो रहे, सब कुछ तेरे पास ||
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