जिसको रहना उतघरा, सो क्यों जोड़े मित्र | जैसे पर घर पाहुना, रहै उठाये चित्त ||

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जिसको रहना उतघरा, सो क्यों जोड़े मित्र | जैसे पर घर पाहुना, रहै उठाये चित्त || : Jisako rahana utaghara, so kyon jode mitr | jaise par ghar paahuna, rahai uthaaye chitt || - कबीर
जिसको रहना उतघरा, सो क्यों जोड़े मित्र | जैसे पर घर पाहुना, रहै उठाये चित्त || : Jisako rahana utaghara, so kyon jode mitr | jaise par ghar paahuna, rahai uthaaye chitt || - कबीर

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