जीवन का वास्तविक सुख, दूसरों को सुख देने में हैं, उनका सुख लूटने में नहीं।

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जीवन का वास्तविक सुख, दूसरों को सुख देने में हैं, उनका सुख लूटने में नहीं। : Jeevan ka vastavik sukh, doosro ko sukh dene me hai, unka sukh lootne me nahi. - मुंशी प्रेमचंद
जीवन का वास्तविक सुख, दूसरों को सुख देने में हैं, उनका सुख लूटने में नहीं। : Jeevan ka vastavik sukh, doosro ko sukh dene me hai, unka sukh lootne me nahi. - मुंशी प्रेमचंद

jeevan ka vastavik sukh, doosro ko sukh dene me hai, unka sukh lootne me nahi. | जीवन का वास्तविक सुख, दूसरों को सुख देने में हैं, उनका सुख लूटने में नहीं।

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