इंसान तभी कुछ करता है जब वो अपने काम के औचित्य को लेकर सुनिश्चित होता है, जैसाकि हम विधान सभा में बम फेंकने को लेकर थे।

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इंसान तभी कुछ करता है जब वो अपने काम के औचित्य को लेकर सुनिश्चित होता है, जैसाकि हम विधान सभा में बम फेंकने को लेकर थे। : Insaan tabhi kuchhkarta hai jab wo apne kaam ke auchitya ko lekar sunishchit hota hai, jaise hum vidhansabha meinbomb fenkne ko lekar the. - सरदार भगत सिंह | Sardar Bhagat Singh
इंसान तभी कुछ करता है जब वो अपने काम के औचित्य को लेकर सुनिश्चित होता है, जैसाकि हम विधान सभा में बम फेंकने को लेकर थे। : Insaan tabhi kuchhkarta hai jab wo apne kaam ke auchitya ko lekar sunishchit hota hai, jaise hum vidhansabha meinbomb fenkne ko lekar the. - सरदार भगत सिंह | Sardar Bhagat Singh

insaan tabhi kuchhkarta hai jab wo apne kaam ke auchitya ko lekar sunishchit hota hai, jaise hum vidhansabha meinbomb fenkne ko lekar the. | इंसान तभी कुछ करता है जब वो अपने काम के औचित्य को लेकर सुनिश्चित होता है, जैसाकि हम विधान सभा में बम फेंकने को लेकर थे।

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