आम तौर पर लोग चीजें जैसी हैं उसके आदी हो जाते हैं और बदलाव के विचार से ही कांपने लगते हैं। हमें इसी निष्क्रियता की भावना को क्रांतिकारी भावना से बदलने की ज़रुरत है।

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आम तौर पर लोग चीजें जैसी हैं उसके आदी हो जाते हैं और बदलाव के विचार से ही कांपने लगते हैं। हमें इसी निष्क्रियता की भावना को क्रांतिकारी भावना से बदलने की ज़रुरत है। : Aamtaur p ye cheeze jaisi hain uske aadi ho jate hain aur badlaav ke vichar se hi kaanpne lagte hain. humein is nishkriyta ki bhavna ko krantikari bhavna me badlne ki jaroorat hai. - सरदार भगत सिंह | Sardar Bhagat Singh
आम तौर पर लोग चीजें जैसी हैं उसके आदी हो जाते हैं और बदलाव के विचार से ही कांपने लगते हैं। हमें इसी निष्क्रियता की भावना को क्रांतिकारी भावना से बदलने की ज़रुरत है। : Aamtaur p ye cheeze jaisi hain uske aadi ho jate hain aur badlaav ke vichar se hi kaanpne lagte hain. humein is nishkriyta ki bhavna ko krantikari bhavna me badlne ki jaroorat hai. - सरदार भगत सिंह | Sardar Bhagat Singh

aamtaur p ye cheeze jaisi hain uske aadi ho jate hain aur badlaav ke vichar se hi kaanpne lagte hain. humein is nishkriyta ki bhavna ko krantikari bhavna me badlne ki jaroorat hai. | आम तौर पर लोग चीजें जैसी हैं उसके आदी हो जाते हैं और बदलाव के विचार से ही कांपने लगते हैं। हमें इसी निष्क्रियता की भावना को क्रांतिकारी भावना से बदलने की ज़रुरत है।

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