ज्ञान और आचरण में जो सामंजस्य पैदा कर सके, उसे ही विद्या कहते हैं।
By : प्रज्ञा सुभाषित
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gyaan aur acharan me jo samanjasya paida kar sake use hi vidya kahte hain. | ज्ञान और आचरण में जो सामंजस्य पैदा कर सके, उसे ही विद्या कहते हैं।
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- शारीरिक दुःख से मानसिक दुःख अधिक बुरा होता है।
- यदि मरना होगा, तो वे अपने पापों से मरेंगे। जो काम प्रेम व शांति से होता है, वह वैर-भाव से नहीं होता।
- क्रोध और असहिष्णुता सही समझ के दुश्मन हैं।
- कर्म योग का रहस्य है कि बिना किसी फल की इच्छा के कर्म करना है, यह भगवान कृष्ण द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता में बताया गया है।
- मन की एकाग्रता ही समग्र ज्ञान है।
- आप स्वयं से लड़ो, बाहरी दुश्मनों से क्या लड़ना? जो स्वयं पर विजय प्राप्त कर लेंगे उन्हें आनंद की प्राप्ति होगी।
- केवल ज्ञान ही एक ऐसा अक्षय तत्त्व है, जो कहीं भी, किसी अवस्था और किसी काल में भी मनुष्य का साथ नहीं छोड़ता।
- जितना बड़ा संघर्ष होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी।
- अधिक संपत्ति नहीं, बल्कि सरल आनंद को खोजें। बड़े भाग्य नहीं, बल्कि परम सुख को खोजें।
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