गुरुमुख गुरु चितवत रहे, जैसे मणिहि भुजंग | कहैं कबीर बिसरे नहीं, यह गुरु मुख के अंग ||

इमेज का डाउनलोड लिंक नीचे दिया गया है

गुरुमुख गुरु चितवत रहे, जैसे मणिहि भुजंग | कहैं कबीर बिसरे नहीं, यह गुरु मुख के अंग || : Gurumukh guru chitavat rahe, jaise manihi bhujang | kahain kabeer bisare nahin, yah guru mukh ke ang || - कबीर
गुरुमुख गुरु चितवत रहे, जैसे मणिहि भुजंग | कहैं कबीर बिसरे नहीं, यह गुरु मुख के अंग || : Gurumukh guru chitavat rahe, jaise manihi bhujang | kahain kabeer bisare nahin, yah guru mukh ke ang || - कबीर

gurumukh guru chitavat rahe, jaise manihi bhujang | kahain kabeer bisare nahin, yah guru mukh ke ang || | गुरुमुख गुरु चितवत रहे, जैसे मणिहि भुजंग | कहैं कबीर बिसरे नहीं, यह गुरु मुख के अंग ||

Related Posts