दीठा है तो कस कहूं, कह्मा न को पतियाइ | हरि जैसा है तैसा रहो, तू हरिष-हरिष गुण गाइ ||

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दीठा है तो कस कहूं, कह्मा न को पतियाइ | हरि जैसा है तैसा रहो, तू हरिष-हरिष गुण गाइ || : Deetha hai to kas kahoon, kahma na ko patiyai | hari jaisa hai taisa raho, too harish-harish gun gai || - कबीर
दीठा है तो कस कहूं, कह्मा न को पतियाइ | हरि जैसा है तैसा रहो, तू हरिष-हरिष गुण गाइ || : Deetha hai to kas kahoon, kahma na ko patiyai | hari jaisa hai taisa raho, too harish-harish gun gai || - कबीर

deetha hai to kas kahoon, kahma na ko patiyai | hari jaisa hai taisa raho, too harish-harish gun gai || | दीठा है तो कस कहूं, कह्मा न को पतियाइ | हरि जैसा है तैसा रहो, तू हरिष-हरिष गुण गाइ ||

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