आप रातोरात अपनी पत्नी को नहीं बदल सकते, अपने बच्चों को नहीं बदल सकते, अपने सहयोगियों/सहकर्मियों अथवा मित्रों को नहीं बदल सकते मगर स्वयं को बदल सकते हैं …कोशिश करके देखिये आप बदलेंगे तो अपने आप यह समूह भी बदल जाएगा - aap raatoraat apni patni nahi badal sakte, apne bachcho ko nahi badal sakte apne sahyogi, sahkarmiyon ko nahi badal sakte lekin swaym ko badal sakte hain. : रवीन्द्र प्रभात
यदि कोई दुखी है, पीड़ित है और उसके कंधे पर हाथ रख दिया जाये, तो निश्चित रूप से उसकी पीड़ा कम हो जाएगी। रोते हुये बच्चे को माँ या फिर किसी सगे के द्वारा गोद में उठा लेना और संस्पर्श पाकर बच्चे का चुप हो जाना यह दर्शाता है कि स्पर्श हमारा भावनात्मक बल है - yadi koi dukhi hai peedit hai aur uske kandhe par hah rakh diya jaaye to nishachit roop se uski peeda kam ho jayegi. : रवीन्द्र प्रभात
यदि एक ब्लॉगर नई पीढ़ी को समुचित ज्ञान देने के बिना मर जाता है, तो उसका ज्ञान व्यर्थ है - yadi ek blogger nayi peedi ko samuchit gyaan diye bina mar jaat hai to usk gyaan vyarth hai. : रवीन्द्र प्रभात
दुनिया को देख पाना एक सुखद आश्चर्य है, मगर उससे भी बड़ा आश्चर्य है अपने भीतर मौजूद असीमित संभावनाओं को देखना, जिससे दुनिया को खूबसूरत बनाया जा सके - duniya ko dekh paana ek sukhad aashcharya hai, magar usse bhi bada ashcharya hai apne bheetra chhupi aseemit sabhavnaaoko dekh paana. : रवीन्द्र प्रभात
हमारे पास सुनने की क्षमता है। हम बादलों के अट्टहास सुन सकते हैं, चिड़ियों के कलरव भी। हम दुनिया को भी सुन सकते हैं और मन की आवाज़ भी। मगर अद्भुत है मन की आवाज़ सुनना - hamare paas sunne kikshamta hai. hum baadlo ke attahas ko sun sakte hain aur chidiyon ke kalrav ko. hum duniya ki aawaz sun sakte hain aur man ki bhi. magar adbhut hai man ki aawza ko sunnna : रवीन्द्र प्रभात
जब आदमी रोता है, तब वह सबसे सच्चा होता है - jab aadmi rota hai tab wah sachcha hota hai. : रवीन्द्र प्रभात