मन की अशुद्धता है लालच, और जीभ की अशुद्धता है झूठ। आँखों की अशुद्धता है किसी अन्य पुरुष की पत्नी की सुन्दरता और उसके धन को ताड़ना। कानों की अशुद्धता है दूसरों के बारे में कुवचन सुनना। हे नानक, यह मर्त्य जीवात्मा, मृत्यु की नगरी में जाने के लिए विवश है। सारी अशुद्धता संशय और द्विपेक्षता से मोह के कारण होती है। जन्म और मृत्यु ईश्वर की इच्छा पर निर्भर हैं; उन्हीं की इच्छा से हम आते और जाते हैं - man ki shuddhta lalach, jeebh ki jhooth, aankhon ki parayi stri ki sundarta, kano ki burai sunna hai. saari ashuddhta moh ke karan hain. janm mrityu ishvar ke hath me hain. : गुरु नानक देव
औरत का सम्मान करना चाहिए क्योंकि इस संसार की जन्मदाता ही औरत है - aurat ka samman karna chahiye kyonki is sansaar ki janmdata aurat hi hai : गुरु नानक देव
ईश्वर को तर्क-वितर्क द्वारा नहीं जान सकता फिर चाहे कोई युगों तक ही तर्क्-वितर्क क्यों न करता रहे - ishwar ko tark vitark dwara koi nahi jaan sakta fir chahe yugo tak hi tark vitark kyon na hote rahe : गुरु नानक देव
अपने समय का कुछ हिस्सा प्रभु के चरणों के अंदर समर्पित कर देना चाहिए - apne samay ka kuchh hissa prabhu ke charno ke andar samarpit kar dena chahiye. : गुरु नानक देव
दुनिया को जीतने के लिए सबसे पहले अपने मन के विकारों को खत्म करना जरूरी होता है - duniya jeetne ke liye sabse pahle apne man ke vikaro ko theek karna jaroori hai. : गुरु नानक देव
परमात्मा एक है और उसके लिए सब एक समान है - parmatma ek hai uske liye sab samaan hain. : गुरु नानक देव
धन-समृद्धि से युक्त बड़े बड़े राज्यों के राजा-महाराजों की तुलना भी उस चींटी से नहीं की जा सकती है जिसमे में ईश्वर का प्रेम भरा हो - dhan samriddhi se yukt bade rajyo ke maharaja ki tulna me vah cheenti bhi shreshta hai jisme ishvar ka prem bhara ho : गुरु नानक देव
दुनिया में किसी भी व्यक्ति को भ्रम में नहीं रहना चाहिए. बिना गुरु के कोई भी दुसरे किनारे तक नहीं जा सकता है - duniya me kisi vyakti ko bharm me nahi rehna chahiye, guru ke bina koi bhi doosre kinare tak nahin ja sakta. : गुरु नानक देव
भगवान एक है, लेकिन उसके कई रूप हैं. वो सभी का निर्माणकर्ता है और वो खुद मनुष्य का रूप लेता है - bhagvan ek hai lekin uske kai roop hain. wo sabhi ka nirmankarta hai aur vo khud manushya ka roop leta hai. : गुरु नानक देव
प्रभु के लिए खुशियों के गीत गाओ, प्रभु के नाम की सेवा करो, और उसके सेवकों के सेवक बन जाओ - prabhu ke liye khushiyo ke geet gao, prabhu ke naam ki seva karo aur uske sevko ke sevak ban jao. : गुरु नानक देव
करुणा को रुई, सन्तोष को धागा, नम्रता को गाँठ और सत्यता को मरोड़ बनाओ। यह आत्मा का पवित्र धागा है, तब आगे बढ़ो और इसे मुझपर डाल दो - karuna ko rui, santosh ko dhaga, namrat ko ganth aur satyata ko marod banao yah aatma ka pavitra dhaga hai. : गुरु नानक देव
मैं जन्मा नहीं हूं मेरे लिए कोई भी कैसे मर सकता है या कैसे जन्म ले सकता है - main janma nahi hu. mere liye koi bhi kaise mar sakta ya janm le sakta hai. : गुरु नानक देव