ईश्वर को तर्क-वितर्क द्वारा नहीं जान सकता फिर चाहे कोई युगों तक ही तर्क्-वितर्क क्यों न करता रहे।
By : गुरु नानक देव
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ishwar ko tark vitark dwara koi nahi jaan sakta fir chahe yugo tak hi tark vitark kyon na hote rahe | ईश्वर को तर्क-वितर्क द्वारा नहीं जान सकता फिर चाहे कोई युगों तक ही तर्क्-वितर्क क्यों न करता रहे।
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- मन की अशुद्धता है लालच, और जीभ की अशुद्धता है झूठ। आँखों की अशुद्धता है किसी अन्य पुरुष की पत्नी की सुन्दरता और उसके धन को ताड़ना। कानों की अशुद्धता है दूसरों के बारे में कुवचन सुनना। हे नानक, यह मर्त्य जीवात्मा, मृत्यु की नगरी में जाने के लिए विवश है। सारी अशुद्धता संशय और द्विपेक्षता से मोह के कारण होती है। जन्म और मृत्यु ईश्वर की इच्छा पर निर्भर हैं; उन्हीं की इच्छा से हम आते और जाते हैं।
- अपने समय का कुछ हिस्सा प्रभु के चरणों के अंदर समर्पित कर देना चाहिए ।
- परमात्मा एक है और उसके लिए सब एक समान है।
- धन-समृद्धि से युक्त बड़े बड़े राज्यों के राजा-महाराजों की तुलना भी उस चींटी से नहीं की जा सकती है जिसमे में ईश्वर का प्रेम भरा हो।
- भगवान एक है, लेकिन उसके कई रूप हैं. वो सभी का निर्माणकर्ता है और वो खुद मनुष्य का रूप लेता है।
- प्रभु के लिए खुशियों के गीत गाओ, प्रभु के नाम की सेवा करो, और उसके सेवकों के सेवक बन जाओ।
- ईश्वर हर जगह है।
- यदि कोई आपसे घृणा करता है,तो बदले में उसे प्रेम ही दो एक दिन वो आपसे घृणा करना बंद कर देगा।
- ईश्वर की शरण में जाने के बाद दोषी भी दोष मुक्त हो जाता है।
- ईश्वर को मानने के लिए पत्थर की मूर्ति पूजी जाए ऐसा जरूरी नहीं है।