भौ सागर की त्रास तेक, गुरु की पकड़ो बाँहि | गुरु बिन कौन उबारसी, भौ जल धारा माँहि ||
By : कबीर
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bhau saagar kee traas tek, guru kee pakado baanhi | guru bin kaun ubaarasee, bhau jal dhaara maanhi || | भौ सागर की त्रास तेक, गुरु की पकड़ो बाँहि | गुरु बिन कौन उबारसी, भौ जल धारा माँहि ||
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