भक्ति बिना नहिं निस्तरे, लाख करे जो कोय | शब्द सनेही होय रहे, घर को पहुँचे सोय ||

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भक्ति बिना नहिं निस्तरे, लाख करे जो कोय | शब्द सनेही होय रहे, घर को पहुँचे सोय || : Bhakti bina nahin nistare, laakh kare jo koy | shabd sanehee hoy rahe, ghar ko pahunche soy || - कबीर
भक्ति बिना नहिं निस्तरे, लाख करे जो कोय | शब्द सनेही होय रहे, घर को पहुँचे सोय || : Bhakti bina nahin nistare, laakh kare jo koy | shabd sanehee hoy rahe, ghar ko pahunche soy || - कबीर

bhakti bina nahin nistare, laakh kare jo koy | shabd sanehee hoy rahe, ghar ko pahunche soy || | भक्ति बिना नहिं निस्तरे, लाख करे जो कोय | शब्द सनेही होय रहे, घर को पहुँचे सोय ||

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