भक्ति भेष बहु अन्तरा, जैसे धरनि अकाश | भक्त लीन गुरु चरण में, भेष जगत की आश ||

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भक्ति भेष बहु अन्तरा, जैसे धरनि अकाश | भक्त लीन गुरु चरण में, भेष जगत की आश || : Bhakti bhesh bahu antara, jaise dharani akaash | bhakt leen guru charan mein, bhesh jagat kee aash || - कबीर
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