आज काल के बीच में, जंगल होगा वास | ऊपर ऊपर हल फिरै, ढोर चरेंगे घास ||

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आज काल के बीच में, जंगल होगा वास | ऊपर ऊपर हल फिरै, ढोर चरेंगे घास || : Aaj kaal ke beech mein, jangal hoga vaas | oopar oopar hal phirai, dhor charenge ghaas || - कबीर
आज काल के बीच में, जंगल होगा वास | ऊपर ऊपर हल फिरै, ढोर चरेंगे घास || : Aaj kaal ke beech mein, jangal hoga vaas | oopar oopar hal phirai, dhor charenge ghaas || - कबीर

aaj kaal ke beech mein, jangal hoga vaas | oopar oopar hal phirai, dhor charenge ghaas || | आज काल के बीच में, जंगल होगा वास | ऊपर ऊपर हल फिरै, ढोर चरेंगे घास ||

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