सत्य ही हमारे सारे प्राणियों और समाजों का मूल आधार है, अतः सत्य कभी भी समाज के अनुसार अपना गठन नहीं करेगा।

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सत्य ही हमारे सारे प्राणियों और समाजों का मूल आधार है, अतः सत्य कभी भी समाज के अनुसार अपना गठन नहीं करेगा। : Saty hee hamaare sabhee praaniyon aur samaajon ka mool aadhaar hai, atah saty kabhee bhee samaaj ke anusaar apana gathan nahin karega. - स्वामी विवेकानन्द | Swami Vivekananda
सत्य ही हमारे सारे प्राणियों और समाजों का मूल आधार है, अतः सत्य कभी भी समाज के अनुसार अपना गठन नहीं करेगा। : Saty hee hamaare sabhee praaniyon aur samaajon ka mool aadhaar hai, atah saty kabhee bhee samaaj ke anusaar apana gathan nahin karega. - स्वामी विवेकानन्द | Swami Vivekananda

saty hee hamaare sabhee praaniyon aur samaajon ka mool aadhaar hai, atah saty kabhee bhee samaaj ke anusaar apana gathan nahin karega. | सत्य ही हमारे सारे प्राणियों और समाजों का मूल आधार है, अतः सत्य कभी भी समाज के अनुसार अपना गठन नहीं करेगा।

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