सत्य, प्राचीन अथवा आधुनिक किसी समाज का सम्मान नहीं करता। समाज को ही सत्य का सम्मान करना पड़ेगा, अन्यथा समाज का विनाश हो जाएगा।

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सत्य, प्राचीन अथवा आधुनिक किसी समाज का सम्मान नहीं करता। समाज को ही सत्य का सम्मान करना पड़ेगा, अन्यथा समाज का विनाश हो जाएगा। : Saty, praacheen ya aadhunik kisee bhee samaaj ka sammaan nahin karata hai. samaaj ko hee saty ka sammaan karana padega, anyatha samaaj ka vinaash hoga. - स्वामी विवेकानन्द | Swami Vivekananda
सत्य, प्राचीन अथवा आधुनिक किसी समाज का सम्मान नहीं करता। समाज को ही सत्य का सम्मान करना पड़ेगा, अन्यथा समाज का विनाश हो जाएगा। : Saty, praacheen ya aadhunik kisee bhee samaaj ka sammaan nahin karata hai. samaaj ko hee saty ka sammaan karana padega, anyatha samaaj ka vinaash hoga. - स्वामी विवेकानन्द | Swami Vivekananda

saty, praacheen ya aadhunik kisee bhee samaaj ka sammaan nahin karata hai. samaaj ko hee saty ka sammaan karana padega, anyatha samaaj ka vinaash hoga. | सत्य, प्राचीन अथवा आधुनिक किसी समाज का सम्मान नहीं करता। समाज को ही सत्य का सम्मान करना पड़ेगा, अन्यथा समाज का विनाश हो जाएगा।

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