कबीर सपनें रैन के, ऊधरी आये नैन | जीव परा बहू लूट में, जागूँ लेन न देन ||
By : कबीर
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kabeer sapanen rain ke, oodharee aaye nain | jeev para bahoo loot mein, jaagoon len na den || | कबीर सपनें रैन के, ऊधरी आये नैन | जीव परा बहू लूट में, जागूँ लेन न देन ||
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