दाग जु लागा नील का, सौ मन साबुन धोय | कोटि जतन परमोधिये, कागा हंस न होय ||
By : कबीर
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daag ju laaga neel ka, sau man saabun dhoy | koti jatan paramodhiye, kaaga hans na hoy || | दाग जु लागा नील का, सौ मन साबुन धोय | कोटि जतन परमोधिये, कागा हंस न होय ||
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