क्यों नृपनारि निन्दिये, पनिहारी को मान | वह माँग सँवारे पीववहित, नित वह सुमिरे राम ||

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क्यों नृपनारि निन्दिये, पनिहारी को मान | वह माँग सँवारे पीववहित, नित वह सुमिरे राम || : Kyon nrpanaari nindiye, panihaaree ko maan | vah maang sanvaare peevavahit, nit vah sumire raam || - कबीर
क्यों नृपनारि निन्दिये, पनिहारी को मान | वह माँग सँवारे पीववहित, नित वह सुमिरे राम || : Kyon nrpanaari nindiye, panihaaree ko maan | vah maang sanvaare peevavahit, nit vah sumire raam || - कबीर

kyon nrpanaari nindiye, panihaaree ko maan | vah maang sanvaare peevavahit, nit vah sumire raam || | क्यों नृपनारि निन्दिये, पनिहारी को मान | वह माँग सँवारे पीववहित, नित वह सुमिरे राम ||

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