गुरु सों प्रीति निबाहिये, जेहि तत निबटै सन्त | प्रेम बिना ढिग दूर है, प्रेम निकट गुरु कन्त ||

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गुरु सों प्रीति निबाहिये, जेहि तत निबटै सन्त | प्रेम बिना ढिग दूर है, प्रेम निकट गुरु कन्त || : Guru son preeti nibaahiye, jehi tat nibatai sant | prem bina dhig door hai, prem nikat guru kant || - कबीर
गुरु सों प्रीति निबाहिये, जेहि तत निबटै सन्त | प्रेम बिना ढिग दूर है, प्रेम निकट गुरु कन्त || : Guru son preeti nibaahiye, jehi tat nibatai sant | prem bina dhig door hai, prem nikat guru kant || - कबीर

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