कबीर नौबत आपणी, दिन-दस लेहू बजाइ | ए पुर पाटन, ए गली, बहुरि न देखै आइ ||
By : कबीर
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kabeer naubat aapanee, din-das lehoo bajai | e pur paatan, e galee, bahuri na dekhai aai || | कबीर नौबत आपणी, दिन-दस लेहू बजाइ | ए पुर पाटन, ए गली, बहुरि न देखै आइ ||
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