प्रेमभाव एक चाहिए, भेष अनेक बजाय | चाहे घर में बास कर, चाहे बन मे जाय ||
By : कबीर
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premabhaav ek chaahie, bhesh anek bajaay | chaahe ghar mein baas kar, chaahe ban me jaay || | प्रेमभाव एक चाहिए, भेष अनेक बजाय | चाहे घर में बास कर, चाहे बन मे जाय ||
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