केतन दिन ऐसे गए, अन रुचे का नेह | अवसर बोवे उपजे नहीं, जो नहिं बरसे मेह ||

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केतन दिन ऐसे गए, अन रुचे का नेह | अवसर बोवे उपजे नहीं, जो नहिं बरसे मेह || : Ketan din aise gae, an ruche ka neh | avasar bove upaje nahin, jo nahin barase meh || - कबीर
केतन दिन ऐसे गए, अन रुचे का नेह | अवसर बोवे उपजे नहीं, जो नहिं बरसे मेह || : Ketan din aise gae, an ruche ka neh | avasar bove upaje nahin, jo nahin barase meh || - कबीर

ketan din aise gae, an ruche ka neh | avasar bove upaje nahin, jo nahin barase meh || | केतन दिन ऐसे गए, अन रुचे का नेह | अवसर बोवे उपजे नहीं, जो नहिं बरसे मेह ||

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