सुमरित सुरत जगाय कर, मुख के कछु न बोल | बाहर का पट बन्द कर, अन्दर का पट खोल ||

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सुमरित सुरत जगाय कर, मुख के कछु न बोल | बाहर का पट बन्द कर, अन्दर का पट खोल || : Sumarit surat jagaay kar, mukh ke kachhu na bol | baahar ka pat band kar, andar ka pat khol || - कबीर
सुमरित सुरत जगाय कर, मुख के कछु न बोल | बाहर का पट बन्द कर, अन्दर का पट खोल || : Sumarit surat jagaay kar, mukh ke kachhu na bol | baahar ka pat band kar, andar ka pat khol || - कबीर

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