मैं रोऊँ जब जगत को, मोको रोवे न होय | मोको रोबे सोचना, जो शब्द बोय की होय ||

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मैं रोऊँ जब जगत को, मोको रोवे न होय | मोको रोबे सोचना, जो शब्द बोय की होय || : Main rooon jab jagat ko, moko rove na hoy | moko robe sochana, jo shabd boy kee hoy || - कबीर
मैं रोऊँ जब जगत को, मोको रोवे न होय | मोको रोबे सोचना, जो शब्द बोय की होय || : Main rooon jab jagat ko, moko rove na hoy | moko robe sochana, jo shabd boy kee hoy || - कबीर

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