स्वच्छता को अपने आचरण में इस तरह अपना लो कि वह आपकी आदत बन जाए | शौचालय को रसोई घर की तरह साफ होना चाहिए|
By : महात्मा गाँधी
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swachchata ko apne aacharan me is tarah apna lo ki wah aapki aadat ban jaaye. aapka shauchalay bhi aape rasoighar ki tarah saf hona chahiye. | स्वच्छता को अपने आचरण में इस तरह अपना लो कि वह आपकी आदत बन जाए | शौचालय को रसोई घर की तरह साफ होना चाहिए|
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- पूर्ण विश्वास के साथ बोला गया “नहीं” सिर्फ दूसरों को खुश करने या समस्या से छुटकारा पाने के लिए बोले गए “हाँ” से बेहतर है।
- आप आज जो करते हैं उस पर भविष्य निर्भर करता है।
- आप मानवता में विश्वास मत खोइए, मानवता सागर की तरह है। अगर सागर की कुछ बूँदें गन्दी हैं, तो सागर गन्दा नहीं हो जाता।
- आपकी आदतें आपके मूल्य बन जाते हैं, आपके मूल्य आपकी नीयति बन जाती है।
- आपके शब्द आपके कार्य बन जाते हैं, आपके कार्य आपकी आदत बन जाते हैं
- आपकी मान्यताएं आपके विचार बन जाते हैं, आपके विचार आपके शब्द बन जाते हैं
- गरीबी हिंसा का सबसे बुरा रूप है।
- कमजोर कभी क्षमाशील नहीं हो सकता है
- दुनिया हर किसी की ‘ जरूरत ‘ के लिए पर्याप्त है, लेकिन हर किसी के ‘ लालच ‘ के लिए नहीं।
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