प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है। आनंद बाहर से नहीं आता।

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प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है। आनंद बाहर से नहीं आता। : Pratyek aatma swaym me sarvagya aur aanandmay hai. aanand bahar se nahi aata - महावीर स्वामी
प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है। आनंद बाहर से नहीं आता। : Pratyek aatma swaym me sarvagya aur aanandmay hai. aanand bahar se nahi aata - महावीर स्वामी

pratyek aatma swaym me sarvagya aur aanandmay hai. aanand bahar se nahi aata | प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है। आनंद बाहर से नहीं आता।

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