मानवता प्रकाश की वह नदी है जो सीमित से असीम की ओर बहती है।

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मानवता प्रकाश की वह नदी है जो सीमित से असीम की ओर बहती है। : Manvata prakash ki vah nadi hai jo seemit se aseem ki or bahti hai. - खलील जिब्रान
मानवता प्रकाश की वह नदी है जो सीमित से असीम की ओर बहती है। : Manvata prakash ki vah nadi hai jo seemit se aseem ki or bahti hai. - खलील जिब्रान

manvata prakash ki vah nadi hai jo seemit se aseem ki or bahti hai. | मानवता प्रकाश की वह नदी है जो सीमित से असीम की ओर बहती है।

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