मानवता प्रकाश की वह नदी है जो सीमित से असीम की ओर बहती है।
By : खलील जिब्रान
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manvata prakash ki vah nadi hai jo seemit se aseem ki or bahti hai. | मानवता प्रकाश की वह नदी है जो सीमित से असीम की ओर बहती है।
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- कर्तव्यनिष्ठ पुरूष कभी निराश नहीं होता। अतः जब तक जीवित रहें और कर्तव्य करते रहें, तो इसमें पूरा आनन्द मिलेगा।
- विश्वास रखकर आलस्य छोड़ दीजिये, वहम मिटा दीजिये, डर छोड़िये, फूट का त्याग कीजिये, कायरता निकाल डालिए, हिम्मत रखिये, बहादुर बन जाइए, और आत्मविश्वास रखना सीखिए। इतना कर लेंगे तो आप जो चाहेंगे, अपने आप मिलेगा।
- गलतियां हमेशा क्षमा की जा सकती हैं, यदि आपके पास उन्हें स्वीकारने का साहस हो।
- डर महसूस होने पर साहस ही उससे सामना करना सिखाता है।
- किसी को अपने करीब रखने के लिए एक अच्छा चरित्र काफी होता है|
- हम किसी भी चीज़ से तब तक डरते हैं,जब तक हम उस चीज़ को जान नहीं लेते |
- सत्य के मार्ग पर चलने हेतु बुरे का त्याग अवश्यक है, चरित्र का सुधार आवश्यक है।
- ध्यान दीजिये कि सबसे कठोर पेड़ सबसे आसानी से टूट जाते हैं, जबकि, बांस या विलो हवा के साथ मुड़कर बच जाते है।
- महान लोग आईडिया पर बात करते हैं, साधारण लोग रोजमर्रा घटनाक्रम की बात करते हैं, और निम्न स्तर के लोग दूसरों के बारे में बात करते हैं।
- आत्मबल के आधार पर खड़े रहने को ही स्वराज कहते हैं।