मनुष्य जन्म सरल है, पर मनुष्यता कठिन प्रयत्न करके कमानी पड़ती है।
By : प्रज्ञा सुभाषित
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manushya janma saral hai, parantu manushyata prapta karne ke liye kathin prayatna karne padte hain. | मनुष्य जन्म सरल है, पर मनुष्यता कठिन प्रयत्न करके कमानी पड़ती है।
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- अज्ञानी वे हैं, जो कुमार्ग पर चलकर सुख की आशा करते हैं।
- वास्तविक सौन्दर्य के आधार हैं-स्वस्थ शरीर, निर्विकार मन और पवित्र आचरण।
- अधिक संपत्ति नहीं, बल्कि सरल आनंद को खोजें। बड़े भाग्य नहीं, बल्कि परम सुख को खोजें।
- आप आज जो करते हैं उस पर भविष्य निर्भर करता है।
- सत्य के मार्ग पर चलने हेतु बुरे का त्याग अवश्यक है, चरित्र का सुधार आवश्यक है।
- सेवा करने वाले मनुष्य को विन्रमता सीखनी चाहिए, वर्दी पहन कर अभिमान नहीं, विनम्रता आनी चाहिए।
- जिसने कभी त्याग नहीं किया, वह इसका मूल्य क्या जाने।
- अक्सर मैं, ऐसे बच्चे जो मुझे अपना साथ दे सकते हैं, के साथ हंसी-मजाक करता हूँ। जब तक एक इंसान अपने अन्दर के बच्चे को बचाए रख सकता है तभी तक उसका जीवन उस अंधकारमयी छाया से दूर रह सकता है, जो इंसान के माथे पर चिंता की रेखाएं छोड़ जाती है।
- यदि मरना होगा, तो वे अपने पापों से मरेंगे। जो काम प्रेम व शांति से होता है, वह वैर-भाव से नहीं होता।
- मनुष्य को ठंडा रहना चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए।