मानव प्रकृति ही ऐसी है की हम बिना उत्सवों के नहीं रह सकते। उत्सव प्रिय होना मानव स्वाभाव है। हमारे त्यौहार होने ही चाहियें।

इमेज का डाउनलोड लिंक नीचे दिया गया है

मानव प्रकृति ही ऐसी है की हम बिना उत्सवों के नहीं रह सकते। उत्सव प्रिय होना मानव स्वाभाव है। हमारे त्यौहार होने ही चाहियें। : Manav ki prakriti hi esi hai ki hum bina utsavo ke rah nahi sakte. utsav pri hona manav swabhav hai. hamare tyauhar hone hi chahiye. - बाल गंगाधर तिलक
मानव प्रकृति ही ऐसी है की हम बिना उत्सवों के नहीं रह सकते। उत्सव प्रिय होना मानव स्वाभाव है। हमारे त्यौहार होने ही चाहियें। : Manav ki prakriti hi esi hai ki hum bina utsavo ke rah nahi sakte. utsav pri hona manav swabhav hai. hamare tyauhar hone hi chahiye. - बाल गंगाधर तिलक

manav ki prakriti hi esi hai ki hum bina utsavo ke rah nahi sakte. utsav pri hona manav swabhav hai. hamare tyauhar hone hi chahiye. | मानव प्रकृति ही ऐसी है की हम बिना उत्सवों के नहीं रह सकते। उत्सव प्रिय होना मानव स्वाभाव है। हमारे त्यौहार होने ही चाहियें।

Related Posts