मानव जाति की शालीनता का अधिक आकलन मत करो।
By : एच एल मेंकेन
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maanav jati ki shaalinta ka adhik aanklan mat karo | मानव जाति की शालीनता का अधिक आकलन मत करो।
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- जैसे जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है,वैसे ही उसका ज्ञान बढ़ता जाता है।
- हर सभ्य आदमी को अपनी वर्तमान सरकार पर शर्म आती है।
- किंवदंती : एक झूठ जिसने उम्र की गरिमा प्राप्त कर ली है।
- कर्तव्यनिष्ठ पुरूष कभी निराश नहीं होता। अतः जब तक जीवित रहें और कर्तव्य करते रहें, तो इसमें पूरा आनन्द मिलेगा।
- कबीर धूल सकेलि के, पुड़ी जो बाँधी येह | दिवस चार का पेखना, अन्त खेह की खेह ||
- भेष देख मत भूलिये, बूझि लीजिये ज्ञान | बिना कसौटी होत नहीं, कंचन की पहिचान ||
- विश्वास रखकर आलस्य छोड़ दीजिये, वहम मिटा दीजिये, डर छोड़िये, फूट का त्याग कीजिये, कायरता निकाल डालिए, हिम्मत रखिये, बहादुर बन जाइए, और आत्मविश्वास रखना सीखिए। इतना कर लेंगे तो आप जो चाहेंगे, अपने आप मिलेगा।
- जितना बड़ा संघर्ष होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी।
- सत्ताधीशों की सत्ता उनकी मृत्यु के साथ ही समाप्त हो जाती है, पर महान देशभक्तों की सत्ता मरने के बाद काम करती है, अतः देशभक्ति अर्थात् देश-सेवा में जो मिठास है, वह और किसी चीज में नहीं।
- अधिक संपत्ति नहीं, बल्कि सरल आनंद को खोजें। बड़े भाग्य नहीं, बल्कि परम सुख को खोजें।