लगातार श्रम करना ही आपकी सफलता का साथी है, इसलिए श्रम को सकारात्मक बनाएं विनाशक नहीं। श्रम एक अपराधी भी करता है, लेकिन उसका लक्ष्य सिर्फ किसी को नुकसान पहुंचाना या फिर किसी की जान लेना ही होता है।

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लगातार श्रम करना ही आपकी सफलता का साथी है, इसलिए श्रम को सकारात्मक बनाएं विनाशक नहीं। श्रम एक अपराधी भी करता है, लेकिन उसका लक्ष्य सिर्फ किसी को नुकसान पहुंचाना या फिर किसी की जान लेना ही होता है। : Lagaataar shram karana hee aapakee saphalata ka saathee hai, isalie shram ko sakaaraatmak banaen vinaashak nahin. shram ek aparaadhee bhee karata hai, lekin usaka lakshy sirph kisee ko nukasaan pahunchaana ya phir kisee kee jaan lena hee hota hai. - स्वामी विवेकानन्द | Swami Vivekananda
लगातार श्रम करना ही आपकी सफलता का साथी है, इसलिए श्रम को सकारात्मक बनाएं विनाशक नहीं। श्रम एक अपराधी भी करता है, लेकिन उसका लक्ष्य सिर्फ किसी को नुकसान पहुंचाना या फिर किसी की जान लेना ही होता है। : Lagaataar shram karana hee aapakee saphalata ka saathee hai, isalie shram ko sakaaraatmak banaen vinaashak nahin. shram ek aparaadhee bhee karata hai, lekin usaka lakshy sirph kisee ko nukasaan pahunchaana ya phir kisee kee jaan lena hee hota hai. - स्वामी विवेकानन्द | Swami Vivekananda

lagaataar shram karana hee aapakee saphalata ka saathee hai, isalie shram ko sakaaraatmak banaen vinaashak nahin. shram ek aparaadhee bhee karata hai, lekin usaka lakshy sirph kisee ko nukasaan pahunchaana ya phir kisee kee jaan lena hee hota hai. | लगातार श्रम करना ही आपकी सफलता का साथी है, इसलिए श्रम को सकारात्मक बनाएं विनाशक नहीं। श्रम एक अपराधी भी करता है, लेकिन उसका लक्ष्य सिर्फ किसी को नुकसान पहुंचाना या फिर किसी की जान लेना ही होता है।

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