जो मनुष्य अपने मन का गुलाम बना रहता है वह कभी नेता और प्रभावशाली पुरूष नहीं हो सकता।

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जो मनुष्य अपने मन का गुलाम बना रहता है वह कभी नेता और प्रभावशाली पुरूष नहीं हो सकता। : Jo manushya aone man ka gulaam hota hai wah kabhi neta aur prabhavshali pusruhs nahi ho sakta. - ओरिसन स्‍वेट मार्डन
जो मनुष्य अपने मन का गुलाम बना रहता है वह कभी नेता और प्रभावशाली पुरूष नहीं हो सकता। : Jo manushya aone man ka gulaam hota hai wah kabhi neta aur prabhavshali pusruhs nahi ho sakta. - ओरिसन स्‍वेट मार्डन

jo manushya aone man ka gulaam hota hai wah kabhi neta aur prabhavshali pusruhs nahi ho sakta. | जो मनुष्य अपने मन का गुलाम बना रहता है वह कभी नेता और प्रभावशाली पुरूष नहीं हो सकता।

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