जिस श्रम से हमें आनन्द प्राप्त होता है, वह हमारी व्याधियों के लिए अमृत, तुल्य है, हमारी वेदना की निवृत्ति है |
By : विलियम शेक्सपियर
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jis shram se humein aanand praapt hota hai, wah hamari vyaadhiyon ke liye amrit tulya hai, hamari vedna ki nivritti hai. | जिस श्रम से हमें आनन्द प्राप्त होता है, वह हमारी व्याधियों के लिए अमृत, तुल्य है, हमारी वेदना की निवृत्ति है |
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- आप आज जो करते हैं उस पर भविष्य निर्भर करता है।
- गलतियां हमेशा क्षमा की जा सकती हैं, यदि आपके पास उन्हें स्वीकारने का साहस हो।
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- हमारे द्वारा लिए गए निर्णय और विकल्प ही हमारा जीवन निर्धारित करते हैं।
- स्वयं से बात करना आपकी आंतरिक भावनाओं को प्रकट करता है |
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