जिस प्रकार एक ही आकाश पात्र के भीतर और बाहर व्याप्त है, उसी प्रकार शाश्वत और सतत परमात्मा समस्त प्राणियों में विद्यमान है।
By : अष्टावक्र
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jis prakar ek hi aakash patra ke bheetar aur bahar vyapta hai, usi prakar shashwat aur satat parmatma samast praniyo me vidyaman hai. | जिस प्रकार एक ही आकाश पात्र के भीतर और बाहर व्याप्त है, उसी प्रकार शाश्वत और सतत परमात्मा समस्त प्राणियों में विद्यमान है।
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